रविवार, 8 मई 2011

कैसे शुरु हुआ -MOTHER'S DAY

 
 
खूबसूरत अहसासों की डोर से बधा होता है मा और सतान का रिश्ता। मा के प्रति प्यार और सम्मान के इजहार का खास दिन है मदर्स डे। इसके इतिहास को प्राचीन ग्रीस में सभी देवताओं की जन्मदात्री देवी रिया के सम्मान में मनाए जाने वाले वसतोत्सव से जोड़कर देखा जा सकता है। 16वींशताब्दी में इंग्लैंड में ईसाइयों ने प्रभु ईसा मसीह की मा मेरी के प्रति आदर भाव प्रदर्शित करने के लिए एक खास दिन सुनिश्चित किया। बाद में एक धार्मिक आदेश में यह कहा गया कि मदर मेरी की तरह ही हर मा विशिष्ट आदर की हकदार है। इस तरह इंग्लैंड में ईस्टर के पहले के 40 दिन में पड़ने वाले चौथे रविवार को मदरिंग सडे मनाया जाने लगा।
अमेरिका में सर्वप्रथम मदर्स डे सोशल एक्टिविस्ट जूलिया वार्ड होव ने अमेरिकी गृह युद्ध के बाद शाति, मातृत्व और स्त्री की गरिमा के प्रति आदर भाव प्रकट करने के लिए 1872 को मदर्स डे मनाने का विचार पेश किया। इस तरह जून में दूसरे रविवार को मदर्स पीस डे मनाया जाने लगा। होव एक अन्य अमेरिकन एन मारी रीव्स जारविस से प्रभावित थीं।
'मदर फ्रेंडशिप क्लब्स' के जरिए एन अमेरिकी गृहयुद्ध में चुटहिल देशवासियों की देखरेख एवं महिलाओं को स्वास्थ्य के बारे में जागरुक बनाने में व्यस्त थीं। 1905 में एन की मृत्यु के बाद उनकी बेटी एना जारविस ने उनके कार्य को आगे बढ़ाया। इसी दौरान एना को यह महसूस हुआ कि बच्चे कई बार खुद को जन्म देने वाली मा की अनदेखी कर जाते हैं। उन्होंने मा के प्रति प्यार का इजहार करने के लिए मदर्स डे मनाने का विचार अपने दोस्तों के सामने रखा, जिन्होंने उसका भरपूर समर्थन किया। एना के प्रयासों से पहली बार ग्राफ्टन में सेंट एंड्रयूज मेथोडिस्ट चर्च ने 10 मई, 1908 में एक चर्च सर्विस में रीस जारविस को श्रद्धाजलि देते हुए प्रथम मदर्स डे मनाया। इसके बाद 12 दिसबर 1912 को मदर्स डे इंटरनेशनल एसोसिएशन का जन्म हुआ, जिसने मदर्स डे को व्यापक रूप से मनाए जाने की वकालत की। फलस्वरूप 9 मई, 1914 को राष्ट्रपति की उद्घोषणा में हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाए जाने की बात कही गई।
भारत में मदर्स डे मनाने का चलन ज्यादा पुराना नहीं है, पर कुछ ही समय में इसकी लोकप्रियता जबर्दस्त हो चली है।
अन्य भाषाओं में कैसे कहते हैं मा
फ्रेंच : मेर
जर्मन : मॅटर
इटैलियन : माद्रे
बेलारूस : मात्का
सर्बियन : माज्का
चेक : अबाताइस
डच : मोएर
एस्टोनियन : एमा
ग्रीक : माना
हंगेरियन : आन्या, फू

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परम पूज्य बाबाजी "कुटी"

परम पूज्य बाबाजी "कुटी"
श्रीयुत महंगू धनरूप सिंहजी "स्वतंन्त्रता संग्राम सेनानी"

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डा. आर. बी. सिंह

डा. आर. बी. सिंह
बखरी के मोहारे से बाहर देखते हुए अन्दर जाना

गाँव स्थित आवासीय परिसर "कुटी" का प्रथम प्रवेश द्वार

गाँव स्थित आवासीय परिसर "कुटी" का प्रथम प्रवेश द्वार
पूज्य पिता प्रो. जीत बहादुर सिंह द्वारा इसका निर्माण कराया गया |