सोमवार, 28 नवंबर 2011

ALEKH-TEJAN

  आधुनिक सुचना युग में हिंदी ---ब्लागिंग से विकास की संभावना 
डा. तेज बहादुर सिंह 

आर. जे. महाविद्यालय ,घाटकोपर 

मुंबई-४०००८६

 आज सूचना विस्फोट का युग है.  इस युग में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग जीवन के अनेक क्षेत्रो में किया जा रहा है. आज शिक्षा, चिकित्सा, वाणिज्य और वित्तीय क्षेत्र में सूचना तंत्र का प्रयोग एवं महत्व दोनों ही प्रबल है.आम आदमी इन साधनों को अपने उपयोग में लाने लगा है.अतिशयोक्ति शायद न हो यह कहना की सम्पूर्ण विश्व सूचना तंत्र के आगोश में है.  इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपने अनुकूल माहौल बनाने में ४० साल, कम्प्यूटर  को २० साल का समय लगा जबकि इन्टरनेट महज १० सालो में ही सर्वव्यापी एवं सर्वग्राह्य सिद्ध हुआ. न तो यह आश्चर्य की बात है और न ही ताज्जुब होना चाहिए इस तथ्य पर क़ि भूमंडलीकरण की जो प्रक्रिया प्रिंट मीडिया द्वारा पिछले ४०० सालो में पूरी न हो सकी थी उसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने कुछ दशको में ही अंजाम दे दिया.
सूचना  प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आई.यस.सी.आई.आई., एक ऐसी मानक कोडिंग प्रणाली है,जिसके अंतर्गत न केवल भारतीय एवं दक्षिण-पूर्व एशिया की भाषाओ और लिपियों को, अपितु रोमन लिपि पर आधारित सभी यूरोपीय भाषाओ को भी समाहित किया गया है.इसी मानक के आधार पर सभी भारतीय भाषाओ के लिए इन्सिक्रिपट नाम से सामान कुंजी पटल का विकास भी किया गया है.उल्लेखनीय है क़ि भारत के प्रथम सुपर कम्प्यूटर के निर्माता "सी-डेक" ने  आई.यस.सी.आई.आई. मानक कोड के आधार पर आई.आई. टी. कानपूर के सहयोग से "जिस्ट" नामक भाषा तकनीक का विकास किया है जिसके अंतर्गत कम्प्यूटर से सम्न्धित सभी प्रकार के अनुप्रयोगों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओ में संपन्न करने क़ि सुविधा उपलब्ध है .

आज भारत क़ि अनेक भाषाओ में कम्प्यूटर  से कार्य किया जा सकता है. कम्प्यूटर पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हमें कुछ और तैयारी करनी पड़ेगी. जैसे--सकेताक्षारो, कूट्पदो की रचना एवं उनकी व्यापक स्वीकृति और कम्प्यूटर  के अनुकूल वर्णमाला एवं लिपि में अपेक्षित सुधार. कम्प्यूटर क़ि तकनीकी शब्दावली का निर्माण हिंदी में ही किया जाना चाहिए.
सूचना प्रौद्योगिकी का नवीनतम योगदान है-इन्टरनेट. यह नेटवर्को का एक सार्वभौमिक नेटवर्क है. आज की दुनिया उत्तरोत्तर इन्टरनेट पर आश्रित होती जा रही है. इ-कामर्स तथा इ- प्रशासन में हिंदी के प्रयोग की प्रचुर सम्भावनाये है. इससे हिंदी इन्टरनेट क़ि हर सुविधा से अपने को जोड़ पायेगी. हिंदी के विकास में इस प्रकार से एक बढ़ावा मिलेगा.
हर  एक वेबसाइट इन्टरनेट का ही  हिस्सा होती है.हिंदी भाषा के न केवल प्रचार-प्रसार  विस्तार में ब्लोगिंग का एक अहम् रोल है बल्कि इसके भाषाई विकास क़ि दिशा में भी ब्लोगिंग प्रमुख भूमिका आने वाले दिनों में निभाएगी. किसी भी भाषा क़ि जीवन्तता उसके लगातार परिवर्तित होते समाज की आवश्यकताओ के साथ समुचित तालमेल से ही संभव है. हिंदी भाषा में ब्लोगिंग को बढ़ावा देना वास्तव में इस भाषा को आधुनिक तंत्र से सक्रिय रूप से जोड़ना है. ब्लोगिंग एक ऐसा माध्यम है जिससे विश्व के किसी भी कोने में रहने वाला हिंदी रचनाकार अपने आप को हिंदी भाषा से, इसके उतार-चढाव से, इसके योगदान से अनवरत अपनत्व बनाये रख सकता है. 

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गाँव स्थित आवासीय परिसर "कुटी" का प्रथम प्रवेश द्वार
पूज्य पिता प्रो. जीत बहादुर सिंह द्वारा इसका निर्माण कराया गया |